Sunday, February 9, 2020

सक्सेस मंत्र: किस फील्ड में बनाना है करियर? फैसला करने में ध्यान रखें 5 बातें










 


कुछ महीनों बाद बोर्ड परीक्षाएं आ रही हैं, तो कुछ प्रतियोगी परीक्षाएं अपनी प्रक्रिया पूरी कर रही हैं। ऐसे में बेहतर करियर बनाने के सपने को साकार बनाने में लगे युवा साथी किसी भी काम में ज्यादा वक्त नहीं गंवाना चाहते। वे जल्दी से जल्दी हर लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होंगे जो सफलता की दौड़ में कई बार जल्दबाजी का शिकार हो जाते हैं।


हर काम या फैसले में जल्दबाजी दिखाने वाले युवाओं को एक्सपर्ट्स की राय है कि वह कोई भी कदम जल्दबाजी में न उठाएं। चाहे वे किसी संस्थान में एडमिशन के लिए हो या किसी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए। क्योंकि जल्दबाजी में उठाया गया कदम कई बार नुकशानदेह साबित होता है।



ध्यान दें ये बातें-
1- करियर का क्षेत्र चुनने या बदलने में ठीक से अपनी क्षमताओं को परख लें। क्षमताओं में आपका बैकग्राउंड, आर्थिक स्थिति और एकेडमिक प्रदर्शन को भी ध्यान में रखें।
2- फैसला लेने से पहले समय और परिस्थिति का भी आंकलन कर लें। आपके फैसले के बाद आपके जीवन में या समय परिस्थिति में क्या बदलाव होंगे इस पर भी विचार करें।
3-मन में कोई दुविधा हो तो कोई बड़ा फैसला लेने से बेहतर है कि आप छोटे-छोटे कदम आगे बढ़ाएं।
4- जिसमें फील्ड में आप आगे बढ़ना चाहते हों उनसे जुड़े लोगों से बात करें और उस क्षेत्र के बारे में व्यापक जानकारी हासिल करें।
5 - किसी फील्ड में आगे तक जाने के लिए पहले उस फील्ड से संबंधित और जरूरी स्किल्स डेवलप करें।  













                                                                                                                                                                                            Hindustan Media Ventures Limited




Saturday, February 8, 2020

एमटेक की डिग्री प्राप्त करने के बाद उपलब्ध अवसर

 


 


आप अपनी एमटेक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मिलने वाले करियर ऑप्शन्स को 4 प्रमुख हिस्सों में बांट सकते हैं. ये 4 प्रमुख भाग हैं:



  • पीएचडी जैसी रिसर्च डिग्री में एडमिशन लेना

  • एमटेक की डिग्री मिलते ही तुरंत कोई अच्छी जॉब प्राप्त करना

  • एक टीचर के तौर पर किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में नौकरी करना

  • अपनी कंपनी खोलना


 


एमटेक के बाद डॉक्टोरल डिग्री (पीएचडी)


 


अगर आप टीचिंग के प्रोफेशन में जाना चाहते हैं या आप किसी रिसर्च एवं डेवलपमेंट कंपनी में काम करने का शौक रखते हैं तो आप अपनी एमटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पसंदीदा विषय में पीएचडी कर सकते है. जब आप एमटेक के बाद पीएचडी करने का इरादा कर लेते हैं तो आपका ऑब्जेक्टिव स्पष्ट होना चाहिए कि आप टीचिंग या रिसर्च को अपने करियर ऑप्शन के तौर पर चुन रहे हैं.


भारत में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन्स (आर एंड डी) और आईआईटीज तथा एनआईटीज जैसी सेंट्रल यूनिवर्सिटीज को मंजूरी दी है. टीचिंग प्रोफेशन बेशक आकर्षक पेशा है लेकिन इसमें काफी चुनौतियां भी आती हैं. आप अपने जोश और रूचि के अनुसार, एमटेक के बाद अपना करियर चुन सकते हैं. 


एमटेक की डिग्री प्राप्त करने के तुरंत बाद कर सकते हैं जॉब ज्वाइन 


आजकल के ट्रेंड को देखते हुए, आपको अपनी बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद जो जॉब प्रोफाइल मिलती है, वही जॉब एमटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी मिल सकती है. हालांकि, एमटेक की डिग्री मिलने के बाद आपके  जॉब रोल और पोजीशन के तहत आपको ज्यादा जिम्मेदारियां सौंपी जायेंगी और आपका सैलरी पैकेज भी काफी अच्छा होगा. इसके अलावा, एमटेक की डिग्री हासिल करने के बाद क्योंकि आपको टेक्निकल प्वाइंट्स की ज्यादा अच्छी जानकारी और समझ होगी और आप अपने सुपूर्द कार्यों के बारे में ज्यादा अच्छी तरह सोच-विचार कर सकेंगे, इसलिये आप अपने सभी काम ज्यादा बेहतरीन और फायदेमंद तरीके से करने में सक्षम होंगे.


आप एमटेक की डिग्री हासिल करने के बाद, बड़ी सरलता से रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन्स, मैन्युफैक्चरिंग फर्म्स और आईटी कंपनियों में किसी प्रोजेक्ट मैनेजर, रिसर्च एसोसिएट और सीनियर इंजीनियर्स के तौर पर जॉब प्राप्त कर सकते हैं.


टीचिंग प्रोफेशन में करें जॉब


आमतौर पर, अधिकांश स्टूडेंट्स अपनी एमटेक की डिग्री प्राप्त करने के बाद एकेडेमिक जॉब्स करना पसंद करते हैं. आजकल, भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र का बड़ी तीव्र गति से विकास हो रहा है और इस कारण डीम्ड यूनिवर्सिटीज, शिक्षा संस्थानों और कॉलेजों में टीचर्स और प्रोफेसर्स की मांग काफी बढ़ रही है.


एमटेक करने के बाद टीचिंग का पेशा ज्वाइन करने के लिए, स्टूडेंट्स को इस बात का ध्यान जरुर रखना चाहिए कि उनके पास इस पेशे के लिये बेहतरीन कम्युनिकेशन और प्रेजेंटेशन स्किल्स अवश्य होने चाहिए क्योंकि इन दोनों ही स्किल्स का टीचिंग प्रोफेशन में खास महत्व है. इसके अलावा, आपको टीचिंग का शौक भी होना चाहिए और आपको बड़े धैर्य और शांति के साथ अपने स्टूडेंट्स के साथ व्यवहार करना चाहिए. आपको किताबें और जर्नल्स पढ़ने की आदत डालनी होगी ताकि आपको अपने संबद्ध विषय में प्रचलित ट्रेंड्स की पूरी जानकारी हो.


अपनी कंपनी शुरू करें


क्या आप एमटेक करने के बाद एक एंटरप्रेन्योर बनना चाहते हैं? यह बहुत बढ़िया करियर ऑप्शन है. बहुत ही कम एमटेक ग्रेजुएट्स अपनी कंपनी खोलना चाहते हैं. हालांकि, आपके लिए यह एक अच्छी खबर है कि एमटेक की डिग्री के आधार पर आपको वेंचर कैपिटलिस्ट्स से फंड और इंवेस्टमेंट्स को लेकर काफी सहायता मिलेगी. अगर आप अपना काम या व्यापार पूरे डेडिकेशन के साथ करना चाहते हैं और आप उपयुक्त बिजनेस सेंस के साथ एक निडर व्यक्ति हैं तो आप अवश्य एक सफल एंटरप्रेन्योर बनेंगे. हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं.


पीएचडी में करें स्पेशलाइजेशन


पीएचडी होल्डर को हमेशा महत्वपूर्ण समझा जाता है और उन्हें काफी सम्मान मिलता है. अगर आप एमटेक के बाद डॉक्टोरल स्टडी करना चाहते हैं तो इससे आपको आश्चर्यजनक फायदा होगा बशर्ते आप अपना काम पूरी लगन और जोश सहित करें. एमटेक में आपके स्पेशलाइजेशन विषय के आधार पर ही पीएचडी में आपका स्पेशलाइजेशन विषय निर्धारित होगा. उदाहरण के लिए, अगर आपने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एमटेक की है तो पीएचडी में आपका स्पेशलाइजेशन का विषय मैकेनिकल इंजीनियरिंग से संबद्ध होगा. यद्यपि, आपका वास्तविक रिसर्च एरिया अंतिम तौर पर इंस्टिट्यूट कमेटी का संबद्ध विभाग स्टूडेंट्स के नॉलेज बेस और एप्टीट्यूड के आधार पर निर्धारित करता है.


आजकल, पीएचडी में इंटर-डिसिप्लिनरी अप्रोच काफी लोकप्रिय हो रही है. इसका यह मतलब है कि पीएचडी स्टूडेंट्स एक साथ दो पीएचडी स्पेशलाइजेशन्स चुन सकता है, जहां गाइडेंस के लिए एक से ज्यादा एक्सपर्ट्स की जरूरत पड़ेगी.   


फेलोशिप्स


एनआईटीज, आईआईटीज और आईआईएससी, बैंगलोर जैसे प्रसिद्ध इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट्स की पीएचडी स्टूडेंट्स के लिए अपनी अलग फंडिंग पॉलिसीज हैं. फेलोशिप में रु. 19,000 - रु. 24,000  तक प्रतिमाह दिए जाते हैं. आमतौर पर, इस कोर्स की अवधि 3 वर्ष होती हैं जिसे जरुरत के मुताबिक बढ़ाया जा सकता है. 


स्कॉलरशिप्स


डिपार्टमेंट ऑफ़ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, यूजीसी, एआईसीटीई और सीएसआईआर पीएचडी स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप्स ऑफर करते हैं. महिला साइंटिस्ट्स के लिए भी अलग स्कॉलरशिप स्कीम्स हैं.


उक्त सरकारी संस्थानों के अलावा, शेल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी प्राइवेट कंपनियां भी इंडस्ट्री संबंधी प्रॉब्लम्स में स्पेशलाइजेशन करने वाले पीएचडी स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप उपलब्ध करवाती हैं. इसके अलावा, कई प्राइवेट कंपनियां भी देश में रिसर्च एंड डेवलपमेंट एक्टिविटीज को बढ़ावा देने के लिए इंवेस्टमेंट करके अपना योगदान देती हैं.


जो स्टूडेंट्स भारत में पीएचडी करना चाहते हैं, उन्हें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:



  • कोई भी इंस्टिट्यूट चुनने से पहले, स्टूडेंट्स को उस इंस्टिट्यूट की इंफ्रास्ट्रक्चरल फैसिलिटीज और  लाइब्रेरी की कंडीशन, इक्विपमेंट्स, लेब्स आदि जैसी अन्य सुविधाओं को अच्छी तरह चेक कर लेना चाहिए.

  • पीएचडी के स्पेशलाइजेशन एरिया के मुताबिक ही एक्सपर्ट्स का चयन किया जाना चाहिए. अन्यथा, पीएचडी स्टूडेंट और संबद्ध गाइड के बीच अलगाव की स्थिति हमेशा कायम रहेगी.

  • असल में, कोई भी पीएचडी प्रोग्राम एक ओपन-एंडेड प्रोग्राम होता है और यह तब तक पूरा नहीं समझा जाता है जब तक कि स्टूडेंट्स अपना रिसर्च कार्य अच्छी तरह पूरा न करें. इसलिये, आप अपने पीएचडी के पहले वर्ष से ही अपने रिसर्च कार्य को पूरी गंभीरता के साथ करें.


 


विदेश में करें पीएचडी


 


जो स्टूडेंट्स विदेश में पीएचडी करना चाहते हैं, उनके लिए काफी उज्ज्वल संभावना होती है. स्टेनफोर्ड, पिट्टसबर्ग, बर्कले और विस्कॉन्सिन जैसी काफी प्रसिद्ध यूनिवर्सिटीज, जो सभी जरुरी मॉडर्न फैसिलिटीज से पूरी तरह लैस होती हैं. इसलिये, ये यूनिवर्सिटीज आपकी पीएचडी की स्टडी बिना किसी रुकावट के पूरी करने के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती हैं. विदेश में अपनी पीएचडी स्टडीज करने के लिए, स्टूडेंट्स को टीओईएफएल और जीआरई एग्जाम पास करने पड़ते हैं. इन एग्जाम्स में प्राप्त किये गये स्कोर्स के आधार पर, आप किसी सुप्रसिद्ध इंटरनेशनल कॉलेज में एडमिशन ले सकते हैं.


हमारे यहां पीएचडी प्रोग्राम्स के लिए जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया को भी सबसे पसंदीदा स्थानों में शामिल किया जाता है. विभिन्न यूरोपीयन देशों में पीएचडी करने की लागत काफी कम है, हालांकि, इन देशों में कॉस्ट ऑफ़ लीविंग काफी ऊंची है.


 


फेक यूनिवर्सिटीज के जाल में मत फंसें


 


यह बहुत बढ़िया बात है कि आप किसी इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से अपनी पीएचडी की पढ़ाई करने के बारे में प्लान कर रहे हैं. यद्यपि, कोई इंस्टिट्यूशन चुनते समय आप पूरी सावधानी बरतें और उस इंस्टिट्यूट की क्रेडिबिलिटी एवं एक्रीडिटेशन को डबल चेक करें. भारत में एआईसीटीई की तरह ही, यूएसए में एक्रीडिटेशन प्रोसेस को एबीईटी मेनटेन रखता है. इसलिये, स्टूडेंट्स संबद्ध यूनिवर्सिटी की एबीईटी एक्रीडिटेशन रेटिंग जरुर चेक करें और उसके बाद ही कोई निर्णय लें.


Jagran Prakashan


Saturday, February 1, 2020

उर्मिला ने सीएए की तुलना अंग्रेजों के रॉलेट एक्ट से की, बोलीं- इतिहास में इसे काले कानून के रूप में दर्ज किया जाएगा

अभिनेत्री और पूर्व कांग्रेस नेता उर्मिला मातोंडकर ने सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) का विरोध करते हुए इसकी तुलना अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए रॉलेट एक्ट से की है। उनका कहना है कि सीएए को इतिहास में काले कानून के रूप में याद रखा जाएगा। ये बात उन्होंने गुरुवार महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर पुणे में सीएए और एनआरसी के विरोध में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही। 


कार्यक्रम के दौरान उर्मिला ने कहा, '1919 में दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद अंग्रेज समझ गए थे कि पूरे भारत में असंतोष फैल रहा है, जो कि दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने के बाद और भी बढ़ सकता है। इसलिए वे एक कानून लेकर आए जिसे आमतौर पर रॉलेट एक्ट के नाम से जाना जाता है। 1919 के उस कानून और नागरिकता संशोधन अधिनियम को इतिहास में काले कानून के रूप में दर्ज किया जाएगा।'


गांधीजी के बारे में बात करते हुए उर्मिला ने कहा, 'गांधीजी किसी एक देश के नहीं बल्कि पूरी दुनिया के नेता थे। मेरे हिसाब से अगर किसी ने हिंदू धर्म का सबसे ज्यादा पालन किया तो वो गांधीजी थे।' वहीं गांधीजी के हत्यारे को लेकर वो बोलीं, 'जिस व्यक्ति ने गांधीजी को मारा ना तो वो मुस्लिम था और ना ही वो सिख था। वो एक हिंदू व्यक्ति था और इस बारे में ज्यादा बताने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है।'


उर्मिला से हो गई गलती


अपने बयान में उर्मिला ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध 1919 में खत्म हुआ था। जबकि दूसरा विश्व युद्ध 1939 से 1945 के बीच लड़ा गया था। इस गलती के बाद उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किया गया। उर्मिला ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर मुंबई उत्तर सीट से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था, हालांकि वे हार गई थीं। इसके बाद पिछले साल सितंबर में उन्होंने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।


क्या था रॉलेट एक्ट?


अंग्रेजी राज के दौरान 1919 में भारत में उभरे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट का निर्माण किया था। यह कानून सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली सेडिशन समिति की शिफारिशों के आधार पर बनाया गया था। इसके अनुसार ब्रिटिश सरकार को यह अधिकार प्राप्त हो गया था कि वो किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए उसे जेल में बंद कर सके। इस कानून के तहत अपराधी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले का नाम जानने का अधिकार भी समाप्त कर दिया गया था। इस कानून के विरोध में देशव्यापी हड़तालें, जुलूस और प्रदर्शन हुए थे।


मिलिंद सोमण ने 54 साल की उम्र में सीखी ड्राइविंग, कहा-नया सीखने की कोई उम्र नहीं होती



मिलिंद सोमण सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। हाल ही में उन्होंने अपने इन्स्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वह कार ड्राइव करते दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, मिलिंद ने 54 साल की उम्र में ड्राइविंग सीखी है। उन्होंने इस बात की जानकारी देते हुए लिखा , मेरी नई उपलब्धि, ज्यादातर लोग इसे 18 साल की उम्र में सीख लेते हैं, मैंने 54 साल की उम्र में सीखा, कुछ नया सीखने की कोई उम्र नहीं होती! मिलिंद के वीडियो में उनकी वाइफ अंकिता भी नजर आ रही हैं जो कि उनके ड्राइव करने से काफी खुश हैं। 



फैन्स कर रहे तारीफ
मिलिंद की इस पोस्ट की फैन्स काफी तारीफ कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, मैं 39 साल की हूं और मुझे ड्राइविंग नहीं आती, आपका वीडियो देखकर प्रोत्साहन मिला, थैंक यू. एक और यूजर ने लिखा, मैं 35 साल की हूं, मैंने भरतनाट्यम सीखना शुरू किया है और ड्राइविंग सीखना भी मेरी बकेट लिस्ट में है इसलिए किसी भी उम्र में किसी चीज को सीखने से इंकार मत कीजिए! बेहतरीन। 


आखिरी बार 'शेफ' में दिखे थे मिलिंद
मिलिंद आखिरी बार बड़े परदे पर सैफ अली खान स्टारर शेफ (2017) में दिखे थे। इससे पहले उन्हें 'बाजीराव मस्तानी' (2015) में देखा गया था। इसमें उन्होंने अम्बाजी पंत का रोल प्ले किया था। मिलिंद फिलहाल फिटनेस प्रमोटर हैं और पिछले साल उन्हें वेब सीरीज 'फोर मोर शॉर्ट्स' में भी देखा गया था।


तीन साल में ही पहली पत्नी को दे दिया था तलाक
मिलिंद सोमन ने जुलाई, 2006 में फ्रेंच एक्ट्रेस मायलिन जम्प्नोई से शादी की थी। मायलिन से मिलिंद की पहली मुलाकात गोवा में फिल्म 'वैली ऑफ फ्लॉवर्स' के सेट पर हुई थी। हालांकि तीन साल तक साथ रहने के बाद मिलिंद ने 2009 में उन्हें तलाक दे दिया। इसके बाद मिलिंद ने 2018 में अंकिता कुंवर से दूसरी शादी की जो कि उम्र में उनसे 25 साल छोटी हैं।


 



फैन ने पूछा तो प्रोड्यूसर रिया कपूर ने दिया संकेत, जल्द बनाएंगी 'वीरे दी वेडिंग' का सीक्वल



रिया कपूर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। हाल ही में उन्होंने इंस्टाग्राम पर फैन्स के लिए आस्क मी एनीथिंग सेशन रखा। इस सेशन में फैन्स ने उनसे कई सवाल पूछे जिनमें से एक सवाल था कि क्या वीरे दी वेडिंग का सीक्वल बनेगा? इस सवाल का जवाब देते हुए रिया ने कहा, मेरे हिसाब से सीक्वल बनेगा,यह असल में उससे जल्दी ही बनेगा, जितने समय में मैंने सोचा था लेकिन सब चीजें ठीक हैं, मैं बहुत उत्साहित हूं। रिया की बातों से लग रहा है कि फिल्म का ऑफिशियल अनाउंसमेंट जल्द ही हो सकता है। रिया वीरे दी वेडिंग की एकता कपूर और निखिल द्विवेदी के साथ को प्रोड्यूसर थीं जबकि शशांक घोष इसके डायरेक्टर थे। फिल्म ने बॉक्सऑफिस पर तकरीबन 150 करोड़ का कारोबार किया था।


करीना भी दे चुकीं संकेत: सीक्वल की स्टारकास्ट का अभी खुलासा नहीं हुआ है लेकिन 'वीरे दी वेडिंग' में नजर आ चुकीं करीना कपूर खान ने 2019 में दिए एक इंटरव्यू में कहा था, मेरे ख्याल से रिया सीक्वल की प्लानिंग कर रही हैं, हम सब बहुत उत्साहित हैं क्योंकि पहला पार्ट बेहतरीन था, रिया और सोनम बेहतरीन थीं और मुझे उनके साथ काम करके मजा आया था। 'वीरे दी वेडिंग' करीना की प्रेग्नेंसी पीरियड के बाद कमबैक फिल्म मानी जाती है। 2016 में 'की एंड का' और 'उड़ता पंजाब' के बाद वह मां बन गई थीं और बेटे तैमूर के जन्म के दो साल बाद 2018 में 'वीरे दी वेडिंग' के जरिए फिल्मों में वापस लौटी थीं। इस फिल्म में सोनम कपूर, स्वरा भास्कर, शिखा तलसानिया भी नजर आई थीं।